OSHO Story

1. गधे की बुद्धिमानी

एक गांव में एक साधु के पास एक गधा था। एक दिन गधे ने साधु से कहा, “मुझे भी कुछ ज्ञान की बातें सिखाओ।” साधु ने गधे को कहा, “हर बात को ध्यान से सुनो और समझो।”

कुछ समय बाद गधा गांव में घूम रहा था और उसने देखा कि लोग उसे देखकर हंस रहे हैं। गधा वापस साधु के पास गया और बोला, “लोग मुझे देखकर हंसते हैं, यह तो ज्ञान की बात नहीं है।”

साधु ने हंसते हुए कहा, “यह तो तुम्हारी बुद्धिमानी है, जो तुम्हें यह समझ में आ गया कि लोग क्यों हंस रहे हैं।”

2. स्वर्ग और नर्क का अंतर

एक बार एक आदमी ने Osho से पूछा, “स्वर्ग और नर्क में क्या अंतर है?” Osho ने उसे एक कहानी सुनाई:

“एक आदमी की मृत्यु के बाद वह पहले नर्क में गया। वहां उसने देखा कि लोग भूखे हैं, लेकिन उनके सामने बहुत सारा खाना है। परंतु उनकी कुहनी मुड़ी हुई है, जिससे वे खाना नहीं खा पा रहे हैं।

फिर वह स्वर्ग गया। वहां भी उसने देखा कि लोग उसी तरह से बैठे हैं और उनकी कुहनी भी मुड़ी हुई है। लेकिन वहां लोग खुश थे, क्योंकि वे एक-दूसरे को खिला रहे थे।”

3. अंधों का हाथी

एक गांव में चार अंधे थे। वे सभी पहली बार हाथी को छूकर जानने की कोशिश कर रहे थे। एक ने हाथी के पैर को छूकर कहा, “हाथी तो एक खंभे जैसा होता है।” दूसरे ने सूंड को छूकर कहा, “हाथी तो एक पाइप जैसा होता है।” तीसरे ने कान को छूकर कहा, “हाथी तो एक पंखे जैसा होता है।” चौथे ने पूंछ को छूकर कहा, “हाथी तो एक रस्सी जैसा होता है।”

Osho ने इस कहानी के माध्यम से समझाया कि हम सब अपनी-अपनी दृष्टि से सत्य को देखते हैं, लेकिन पूरा सत्य किसी एक को नहीं दिखता।

4. पंडित की समझदारी

एक पंडित जी को एक बार गधे पर सवार होकर कहीं जाना था। पंडित जी ने गधे से कहा, “तू बहुत ही बुद्धिमान है, तुझे रास्ता पता है। मुझे बस आराम से बैठने दे।”

गधा भी अपनी मर्जी से रास्ते में कहीं-कहीं रुकने लगा, तो पंडित जी ने सोचा, “शायद गधे को कुछ याद आया होगा।”

गधा पंडित जी को लेकर अंततः गधे के मालिक के घर पहुंच गया। पंडित जी ने तब समझा कि गधे की बुद्धिमानी में कोई गड़बड़ी थी।

5. साधु और बिल्ली

एक साधु हमेशा ध्यान करने के लिए बैठता था, लेकिन एक बिल्ली बार-बार आकर ध्यान में खलल डालती थी। साधु ने सोचा कि बिल्ली को बांध दिया जाए।

फिर साधु ध्यान में बैठता और बिल्ली को बांध देता। एक दिन साधु की मृत्यु हो गई, लेकिन उसके शिष्यों ने सोचा कि ध्यान से पहले बिल्ली को बांधना जरूरी है, तभी ध्यान पूर्ण होगा।

इस तरह एक साधारण सी बात को परंपरा बना दिया गया।

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